ये त्रिकोणाकर गहरे होते हैं, जिनका शिखर बाहर मांसस्तर पर और आधार श्लेष्मल कला पर होता है।
12.
इस फलक पर रोमक श्लेष्मल कला चढ़ी हुई है, जो नासा के पार्श्वों पर की काल से मिल जाती है।
13.
अतएव मल में आहार का कुछ अपच्य भाग भी होता है तथा आंत्र की श्लेष्मल कला के टुकड़े होते हैं।
14.
इस फलक पर रोमक श्लेष्मल कला चढ़ी हुई है, जो नासा के पार्श्वों पर की काल से मिल जाती है।
15.
बहि: कर्ण सुरंग के चारों ओर की त्वचा तथा श्लेष्मल कला की ग्रंथियों का स्राव सुरंग में जमा होकर सूख जाता है।
16.
बहि: कर्ण सुरंग के चारों ओर की त्वचा तथा श्लेष्मल कला की ग्रंथियों का स्राव सुरंग में जमा होकर सूख जाता है।
17.
गंध का अनुभव करना उपर्युक्त उन तंत्रिकातंतुओं का काम है जो मध्यफलक पर आच्छादित श्लेष्मल कला के ऊर्ध्व भाग में फैले हुए हैं।
18.
गंध का अनुभव करना उपर्युक्त उन तंत्रिकातंतुओं का काम है जो मध्यफलक पर आच्छादित श्लेष्मल कला के ऊर्ध्व भाग में फैले हुए हैं।
19.
इसकी आंतरिक रचना के चित्र को देखने से मालूम होगा कि उसके भीतर श्लेष्मल कला में, जो सारे आंत्र को भीतर से आच्छादित किए हुए है, गहरी सिलवटें बनी हुई हैं, जिससे कला का पृष्ठ आंत्र से कहीं अधिक हो जाता है।