[4] [5]एक उपस्वरूप दीर्घकालिक एक केन्द्रक एवं दानेदार जीवद्रव्य युक्त श्वेत रक्त कोशिका संबंधी श्वेतरक्तता है.
12.
परिणामस्वरूप, श्वेतरक्तता के रोग लक्षण को देखकर उसका उपचार हमेशा चिकित्सा जांच के द्वारा किया जा सकता है.
13.
दीर्घकालिक श्वेतरक्तता अधिकांशतः वृद्ध लोगों में पाई जाती है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से यह किसी भी आयु वर्ग में हो सकता है.
14.
यदि श्वेतरक्तता से प्रभावित कोशिका केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण कराती है, तब तंत्रिका संबंधी लक्षण (विशेषकर सिरदर्द) उत्पन्न हो सकता है.
15.
ध्यान दें कि कुछ नियोप्लास्म, जैसे रक्त कर्कट (श्वेतरक्तता), गाँठ (ट्यूमर) का निर्माण नहीं करते हैं.
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इसमें मौजूद पाॅलिफेनाॅल-एपिगैलोकैटेशिन डीएनए के रेप्लिकेशन में श्वेतरक्तता की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है जिसके फलस्वरूप इन कोशिकाओं की मौत हो जाती है।
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इसमें मौजूद पाॅलिफेनाॅल-एपिगैलोकैटेशिन डीएनए के रेप्लिकेशन में श्वेतरक्तता की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है जिसके फलस्वरूप इन कोशिकाओं की मौत हो जाती है।
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अधिकांश कर्कट एक गाँठ या अबुर्द (ट्यूमर) बनाते हैं, लेकिन कुछ, जैसे रक्त कर्कट (श्वेतरक्तता) गाँठ नहीं बनाता है.
19.
ल्यूकोसाइट्स के भौतिक गुण, जैसे मात्रा, चालकता और कणिकामयता, सक्रियण, अपरिपक्व कोशिकाओं की उपस्थिति, या श्वेतरक्तता (ल्यूकेमिया) की हालत में घातक ल्यूकोसाइट्स की उपस्थिति के कारण बदल सकते हैं।
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ल्यूकोसाइट्स के भौतिक गुण, जैसे मात्रा, चालकता और कणिकामयता, सक्रियण, अपरिपक्व कोशिकाओं की उपस्थिति, या श्वेतरक्तता (ल्यूकेमिया) की हालत में घातक ल्यूकोसाइट्स की उपस्थिति के कारण बदल सकते हैं।