को अपनाने के सँकल्प से उन्हें और जनता को जो हर्ष हुआ वो तालियों की गूँज में समाया था, जहाँ भारत की आवाज़ आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर सुनी जा रही है उसे सँपर्क की भाषा बनाने पर भी ज़ोर दिया गया.
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इस आशावादी सँकल्प के बल पर प्रवासी कवयित्रियों की रचनाओं में, उनकी देश से दूर रहने की वेदना, कुछ अमरीका की खट्टी-मीठी अनुभूतियाँ, मन में उठती हर भावपूर्ण लहर को खुले मन से कविता द्वारा प्रकट करने के लिये यह क्रियाशील प्रयास किया है.
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शाँति दिवस “ घोषति करते हुए कहा कि गाँधी जी के विचारों को, उनके सँदेशों को, उनके चुने हुए रास्तों को अपनाने के सँकल्प से उन्हें और जनता को जो हर्ष हुआ वो तालियों की गूँज में समाया था, जहाँ भारत की आवाज़ आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर सुनी जा रही है उसे सँपर्क की भाषा बनाने पर भी ज़ोर दिया गया. तिरँगा भारत की आज़ादी का प्रतीक है.
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श्री आनंद शर्मा ने एक सुखद ऐलान किया दो आक्टोबर महात्मा गाँधी के जन्म दिन को “शाँति दिवस ” घोषति करते हुए कहा कि गाँधी जी के विचारों को, उनके सँदेशों को, उनके चुने हुए रास्तों को अपनाने के सँकल्प से उन्हें और जनता को जो हर्ष हुआ वो तालियों की गूँज में समाया था, जहाँ भारत की आवाज़ आज अंतराष्ट्रीय स्तर पर सुनी जा रही है उसे सँपर्क की भाषा बनाने पर भी ज़ोर दिया गया.