अपने हक़ की बात करूँ तो स्त्रीवादी लीक से हटकर कोई विधा अपनाऊँ तो सलाह मिलती है सँध्या यू नो राइटिंग सटायर इज अ टफ़ेस्ट जॉब स्पेशली फॉर गर्ल्स।
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नाच रही मीन मौन गगन दीप! सँध्या के तारक से, मावस के पावस से, कौन कहे रीत? प्रीत करे, जीत, ओ मेरे, सँध्या के मीत! मेरे गीत हैँ अतीत.
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नाच रही मीन मौन गगन दीप! सँध्या के तारक से, मावस के पावस से, कौन कहे रीत? प्रीत करे, जीत, ओ मेरे, सँध्या के मीत! मेरे गीत हैँ अतीत.
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हरीश भाई को जन्म दिन की बधाई-उनकी पत्नी सँध्या मेरी गुजराती स्कुल प्युलिल्स ओन हाई स्कुल की छात्रा हैँ वे मुझसे जुनियर थीँ धुनेँ भी बढिया लगीँ पियूष भाई...
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कल की किरणें निश्चय ही हमारी सरहद की शैल-मालाओं के लिये विजय-हार होंगी और देखो इस कल के इन्तजार में यह सुरमयी सँध्या और भी सिन्दूरी हो गयी है, बिल्कुल तुम्हारी तरह।
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यही कामना है ।युग की सँध्या-युग की सँध्या कृषक वधू सी किस का पँथ निहार रही? उलझी हुई समस्याओँ की बिखरी लटेँ सँवार रही...युग की सँध्या कृषक वधू सी....धूलि धूसरित, अस्त ~ व्यस्त