मन्दिर प्रवाहित काष्ठ कणों का संग्रह स्थल हैं, पुरोहितों का जीवन कितना दिव्य प्रतीत होता है किन्तु धोखा है मेरे लिए, त्यागता हूँ ऐसे जीवन को ध्यान की अनुभूति के बिना वाद-विवाद करना कुछ अधिक नहीं औरतों के झगड़ों से मै वह हूँ जो मन की शान्ति पोसता हूँ और गप्पबाजी एवं दोषारोपण से करता घृणा।
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‘ राम ' नाम लेखन प्रचलित हुआ तो ‘ राम ' नाम लिखे पत्रों के संचय की चिंता हुई, क्योंकि बिना समुचित रख-रखाव के राम नाम लिखे पत्रों के नष्ट होने या उनके दुरूपयोग की संभावना प्रबल रहती इसका दुष्परिणाम यह होता कि राम नाम लेखक पुण्य के बजाय पाप का भागीदार बनता ऐसे ‘ राम ' नाम लिखे पत्रों को संचित रखने के लिए जो संग्रह स्थल बने, उसे रामभक्तों ने नाम दिया ‘ राम नाम बैंक ' ।