सितम्बर, १९८३ के तीसरे सप्ताह में लंदन के दौरे के समय श्री सुर्जन सिंह गिल ने, वैंकूवरमें खालिस्तान के तथाकथित कांसुल-जनरल ने दावा किया कि पाकिस्तान ने उनके संघर्षमें उनकी सहायता करने का वचन दिया था और कि यदि एक बार खालिस्तान बन गया तोपाकिस्तान "ननकाना साहिब" को वही दर्जा देगा जो वैटिकल को दिया गया है.
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इतेलियन्स ने अबाइसीनिया की अपनी विजय के दौरान मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल किया, [190] जबकि जापान की शाही सेनाने उनके चीन (७ ३ १ इकाई देखें) [190] [191] पर आक्रमण और अधिकार करने के दौरान तथा सोवियत संघ के ख़िलाफ़ शुरुआती संघर्षमें ऐसे हथियारों की अनेकों किस्मों का इस्तेमाल किया था.