उनकी यह टिप्पणी सही नहीं है क्योंकि वह टीम के एक महत्वपूर्ण सपोर्ट स्टाफ हैं, लेकिन बावजूद इसके मैं उन्हें संदेह का लाभ देना चाहूँगा।
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यहां पर उन्हें संदेह का लाभ देना पड़ेगा क्योंकि लेख में हेर फेर करने के लिए हिंदी की टाइपिंग आनी जरूरी हैं और वह आलोक तोमर को आजतक नहीं आती।
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यदि केजरीवाल पर संदेह है तो भी उन्हें एक बार संदेह का लाभ देना बनता है क्यूंकि जो पार्टियां दिल्ली की सत्ता में रह चुकी हैं उनकी ईमानदारी सब देख ही चुके हैं....
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डॉ तलवार यदि निर्दोष हैं, तो उन्हें अपनी बच्ची की मृत्यु पर क्या कभी रोने का अवसर मिलेगा? क्या अपनी पत्नी व प्रियजनों के साथ अपना दुख बाँटना भी उनके भाग्य में न था? माना कानून भावुक होकर यह सब नहीं सोच सकता परन्तु हमारी संवेदना कहाँ गई थी? क्या सारी संवेदना उनपर लांछन लगाने में चूक गई थी? हमें कम से कम उन्हें संदेह का लाभ देना चाहिए था या जब तक कुछ साबित नहीं होता तब तक के लिए तो रुक जाना चाहिए था।