| 11. | गद्य की जान शब्दों का चयन, मुहावरा व लोक संपृक्ति है.
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| 12. | यशःकाय अस्तित्व लोक से लेकर पंचतत्व तक की संपृक्ति का संधान करता अशेष
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| 13. | गद्य की जान शब्दों का चयन, मुहावरा, व लोक संपृक्ति है।
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| 14. | उनका यशःकाय अस्तित्व लोक से लेकर पंचतत्व तक की संपृक्ति का संधान करता अशेष है।
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| 15. | जिस लोकराग या गहन संपृक्ति की बात की गयी उसी से यह चित्र संपूर्ण बनता है।
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| 16. | गीत की भी आधुनिक भाव-बोध से संपृक्ति हो रही थी और उसका भी स्वरूप बदल रहा था।
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| 17. | लोकभाषा का अनुपम छंद और लोकसंवेदना से गहरी संपृक्ति उनकी कविताओं और गीतों को विशिष्ट किस्म के आत...
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| 18. | 1. 4 केदारनाथ सिंह की कविताओं से गुजरते हुए हमें सहज ही यह लगता है कि लोक से उनकी गहरी संपृक्ति है।
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| 19. | लोकभाषा का अनुपम छंद और लोकसंवेदना से गहरी संपृक्ति उनकी कविताओं और गीतों को विशिष्ट किस्म के आत्मीय-प्रकाश से भर देती है.
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| 20. | ये समय और समाज के आंतरिक संबंधों के जटिल रूपाकार को खंगालने एवं जनवादी सरोकारों से संपृक्ति रखने वाले महत्वपूर्ण रचनाकार हैं ।
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