जुंग के आद्यरूप से सम्बंधित कथनों का सत्यापन व्यावहारिकता की कसौटी पर नही किया जा सका कई आलोचकों ने इस संप्रत्यय को आत्म निष्ठ और अव्यवहारिक बताया.
12.
‘मैं ' का खुलासा करते हुए महर्षि रमण कहते हैं, 'अगर हम भीतर ही भीतर ‘मैं' के सूत्र का पीछा करेंगे तो पाएंगे यह सर्वप्रथम पैदा होने वाला संप्रत्यय है।
13.
सामूहिक अवचेतन का प्रत्यय तमाम मनोवैज्ञानिकों द्वारा आलोचना का शिकार हुआ क्योंकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नही था और इस संप्रत्यय द्वारा जाँचनीय प्राक्काल्प्नाओं की निष्पत्ति नही की जा सकी.
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सामूहिक अवचेतन का प्रत्यय तमाम मनोवैज्ञानिकों द्वारा आलोचना का शिकार हुआ क्योंकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नही था और इस संप्रत्यय द्वारा जाँचनीय प्राक्काल्प्नाओं की निष्पत्ति नही की जा सकी.
15.
यह विषय बहसतलब है क्योंकि नई पीढ़ी अपने आचार, विचार और व्यवहार में जिन अधुनातन (?) प्रवृŸिायों का अनुसरणकर्ता है ; उसमें आधुनिकता सम्बन्धी मूल संप्रत्यय ही अनुपस्थित है।
16.
भट्टाचार्य ने इस संप्रत्यय का विकास सोपानिक क्रम में इन तीन अन्य संप्रत्ययों के विस्तृत विश्लेषण के द्वारा किया है-(इन्द्रियानुभविक) तथ्य, स्वयंभू (वस्तु-सामान्य), और विषयिनिष्ठता (उत्तम पुरुष ' मैं ') वास्तविकता के रूप में।
17.
संगोष्ठी में राष्ट्रीय जीवन से जुड़े छह बिन्दुओं महिला सशक्तीकरण का संप्रत्यय, इसके ऐतिहासिक एवं समाजशास्त्रीय आयाम, शिक्षा की भूमिका, महिला सशक्तीकरण की आवश्यकता, इसके मार्ग में अवरोध एवं इसकी सुनिश्चितता के मापदण्ड पर आलेख प्रस्तुति एवं सामूहिक विचार मंथन किया जाएगा।
18.
अपने लेखों, Sankara ' s Doctrine of maya, correction of error as a logical process और The false and the subjective में भट्टाचार्य ने मिथ्या [3] के संप्रत्यय में निहित वास्तविक समस्याओं का विस्तृत विवरण दिया है और यह बताया है कि इन समस्याओं का समाधान किस तरह से होना चाहिए और उसमें क्या-क्या बातें निहित हैं।
19.
" पदार्थ से गति की बाह्ता कायह दृष्टिकोण पदार्थ तथा शक्ति के आधुनिक सिद्धान्त के इतना विपरीत है किवह इस मत को केवल ऐतिहासिक रुचि प्रदान करता है, किन्तु रूसो का गति परबल देना इस तथ्य की स्वीकृति, जिसकी देकार्ते ने मन और पदार्थ को दोअन्तिम संप्रत्यय बताकर अवहेलना की तथा उसका इसके महत्त्व पर बल देनाआधुनिक भौतिक विज्ञान से सहमति रखना है.
20.
सबसे पहले मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह विचार प्लेटो का नहीं है वरन सुकरात का है … प्लेटो ने तो सुकरात के मानसिक प्रत्यय को वास्तविक बनाया … सुकरात प्रत्यय (IDEA) को विचारों का मानदंड मानता था किंतु प्लेटो के अनुसार संप्रत्यय केवल मानसिक प्रत्ययमात्र नहीं है, अपितु वास्तविक वस्तुएँ हैं जिनका मन के बाहर स्वतंत्र अस्तित्व है … ।