| 11. | सांसारिक विषयेन्द्रिय-संयोगजन्य है, पर आनन्द संयोगजन्य नहीं है।
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| 12. | इसलिये मनुष्यको हरदम संयोगजन्य सुखके परिणामकी तरफ दृष्टि रखनी चाहिये ।
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| 13. | संयोगजन्य सुखमें जो आकर्षण है-यही खास बीमारी है ।
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| 14. | उस संयोगजन्य भोग-सुख से निराला आत्म-सुख ब्रह्माभ्यास से मिल रहा है।
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| 15. | स्वामीजी-दूसरी लालसाएँ संयोगजन्य सुखभोगकी लालासपर टिकी हुई हैं ।
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| 16. | संयोगजन्य सुख आठ प्रकार का है-शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गन्ध, मान (शरीर
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| 17. | इस बातका प्रत्यक्ष पता है कि संयोगजन्य सुख लेनेसे दुःख भोगना ही पडता है ।
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| 18. | संयोगजन्य सुख की लोलुपता रहते हुए बाहर से चले संबंध छोड़ दो, साधु भी बन
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| 19. | स्वयं को शरीर मानकर संयोगजन्य सुख की इच्छा के कारण ही अहंकार का मिटना कठिन दिखता है।
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| 20. | व्याख्यान देते-देते कई वर्ष बीत गये तब पता चला कि मनमें संयोगजन्य सुखकी जो लोलुपता है ।
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