पहला यह कि संयुक्त क्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली संयोज्य क्रियाएँ उक्त चारों वर्गों के सभी कालों में सामान्यतः प्रयुक्त होती है।
12.
सामान्यतः संयोज्य क्रियाओं के साथ मुख्य क्रिया के कृदंत रूप विकारी होते हैं, परन्तु कुछ के साथ अविकारी रूप भी प्रयुक्त होते हैं।
13.
दूसरा यह कि मुख्य क्रिया उक्त क्रियापदों में किसी एक विशिष्ट रूप में ही विभिन्न संयोज्य क्रियाओं के रूप में प्रयुक्त होती है।
14.
मैं किसी धर्म या स्थान विशेष की मान्यताओं के खिलाफ नहीं कह रहा मगर मान्यताएं वही होती है जो सामाजिक परिवेश में संयोज्य हो
15.
संयोज्य क्रिया मुख्य क्रिया के अर्थ में (क) नई विवक्षा जोडती है, (ख) क्रियापद की सकर्मकता-अकर्मकता की निर्धारक होती है और (ग) होती है कालभेद की सूचक भी।
16.
कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ मुख्य क्रिया धातु रूप में ही प्रयुक्त होती है, कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ वर्तमान कृदंत रूप में, कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ भूत कृदंत रूप में और कुछ के साथ क्रियार्थक कृदंतरूप में प्रयुक्त होती है।
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कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ मुख्य क्रिया धातु रूप में ही प्रयुक्त होती है, कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ वर्तमान कृदंत रूप में, कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ भूत कृदंत रूप में और कुछ के साथ क्रियार्थक कृदंतरूप में प्रयुक्त होती है।
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कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ मुख्य क्रिया धातु रूप में ही प्रयुक्त होती है, कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ वर्तमान कृदंत रूप में, कुछ संयोज्य क्रियाओं के साथ भूत कृदंत रूप में और कुछ के साथ क्रियार्थक कृदंतरूप में प्रयुक्त होती है।
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मैं किसी धर्म या स्थान विशेष की मान्यताओं के खिलाफ नहीं कह रहा मगर मान्यताएं वही होती है जो सामाजिक परिवेश में संयोज्य हो I आप इस वैलेंटाइन वाले प्रेम की अभिव्यक्ति सायंकाल किसी भी महानगर के पार्क में एकांत की जगहों पर देख सकते हैंI