गुणहीन, मानहीन, माता-पिता विहीन, संशयहीन, योगी, जटाधारी, निष्कामहृदय, नंगा और अमंगल वेषवाला पति इस मिलेगा।
12.
मतदान प्रणाली को संशयहीन बनाने को लेकर आजादी बाद से जब-तब मांग उठती रही है और आवश्यकता भी महसूस की जाती रही है।
13.
आजादी बाद से लगातार आए ऐसे बदलावों से जाहिर होता है कि चुनाव आयोग मतदान प्रणाली को पूर्णत संशयहीन बनाने में किस तरह सिरे से प्रयासरत है।
14.
इस वैराग्य-रूपक में गूँजती है कविता के जीवन-राग की, आश्वासन की, संशयहीन आत्मविश्वास की आवाज; जलती चिताओं की गंध के बीच हवा को साँस लेने लायक बनाती हुई, व्याप्ती है कबीर-वाणी की कस्तूरी-गंध:
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इस वैराग्य-रूपक में गूँजती है कविता के जीवन-राग की, आश्वासन की, संशयहीन आत्मविश्वास की आवाज ; जलती चिताओं की गंध के बीच हवा को साँस लेने लायक बनाती हुई, व्याप्ती है कबीर-वाणी की कस्तूरी-गंध:
16.
सन्त नामदेव ने ‘पाखण्ड भगति राम नही रीझें ' कहकर धर्म के तात्त्विक स्वरूप की ओर ध्यान आकृष्ट किया तो कबीर ने ‘जो घर फूँके आपना, चले हमारे साथ' कहकर साधना-पथ पर द्विधारहित एवं संशयहीन मनःस्थिति से कामनाओं एवं परिग्रहों को त्याग कर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
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सन्त नामदेव ने ‘पाखण्ड भगति राम नही रीझें ' कहकर धर्म के तात्त्विक स्वरूप की ओर ध्यान आकृष्ट किया तो कबीर ने ‘जो घर फूँके आपना, चले हमारे साथ' कहकर साधना-पथ पर द्विधारहित एवं संशयहीन मनःस्थिति से कामनाओं एवं परिग्रहों को त्याग कर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
18.
दुर्भाग्य की बात है कि बजाय पुराने विचारकों के अनुभवों तथा विचारों को भविष्य में अज्ञानता के विरुद्ध लड़ाई का आधार बनाने के हम आलसियों की तरह, जो हम सिद्ध हो चुके हैं, उनके कथन में अविचल एवं संशयहीन विश्वास की चीख पुकार करते रहते हैं और इस प्रकार मानवता के विकास को जड़ बनाने के दोषी हैं।
19.
बजाय इसके कि हम पुराने विद्धानों एवं विचारकों के अनुभवों तथा विचारों को भविष्य में अज्ञानता के विरूद्ध लड़ाई का आधार बनाएँ और इस रहस्यमय प्रश्न को हल करने की कोशिश करें, हम आलसियों की तरह, जो कि हम सिद्ध हो चुके हैं, विश्वास की-उनके कथन में अविचल एवं संशयहीन विश्वास की-चीख पुकार मचाते रहते हैं ।
20.
बजाय इसके कि हम पुराने विद्वानों एवं विचारकों के अनुभवों तथा विचारों को भविष् य में अज्ञानता के विरुद्ध लड़ाई का आधार बनाएँ और इस रहस् यमय प्रश् न को हल करने की कोशिश करें, हम आलसियों की तरह, जो कि हम सिद्ध हो चुके हैं, विश् वास की, उनके कथन में अविचल एवं संशयहीन विश् वास की, चीख-पुकार मचाते रहते हैं और इस प्रकार मानवता के विकास को जड़ बनाने के अपराधी हैं।