भारत में सामाजिक संस्तरण के विकसित होने का कारण हिन्दुओं का मुस्लिम में परिवर्तित होना रहा।
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जाति सिर्फ हिन्दुओं की बीमारी नहीं बल्कि भारत में सामाजिक संस्तरण का मूल तत्व और प्रधान अंतर्विरोध है।
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फलस्वरूप इनमें भी एक ऐसा सामाजिक संस्तरण (social stratification) पनप गया है जिसको समझा जाना आवश्यक है।
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संस्तरण तल, जोड़, संस्पर्श क्षेत्र एवं विभंगों की उपस्थिति भूजल की उपलब्धता, गतिविधि एवं उत्पादन क्षमता को प्रभावित करती है ।
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मूल्यमीमांसा के अंतर्गत मुख्यत: मूल्य का स्वरूप, मूल्य के प्रकार, मूल्य का भाव सिद्धांत और मूल्य के तात्विक संस्तरण का अध्ययन किया जाता है।
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मूल्यमीमांसा के अंतर्गत मुख्यत: मूल्य का स्वरूप, मूल्य के प्रकार, मूल्य का भाव सिद्धांत और मूल्य के तात्विक संस्तरण का अध्ययन किया जाता है।
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कुछ ऐसा प्रतीत होता है की भूगोलिक प्रजातीय, जनजातीय और राजनैतिक विभेदों के परिणाम स्वरुप मुस्लिम समाज में भी सामाजिक संस्तरण की व्यवस्था विध्यमान है।
18.
इस जाति ने आदिकाल से कुछ सर्वमान्य सामाजिक मापदण्ड स्वयं ही निर्धारित कर रखे हैं और इनके सामाजिक मूल्यों का निरंतर संस्तरण होता आ रहा है.
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इस जाति ने आदिकाल से कुछ सर्वमान्य सामाजिक मापदण्ड स्वयं ही निर्धारित कर रखे हैं और इनके सामाजिक मूल्यों का निरंतर संस्तरण होता आ रहा है.
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इस स्थिति में अन्य आस-पास केभ्रमणशील समुदाय मौका पाकर उन पर आक्रमण करके उनको अपने अधीन कर लेता है, और संस्तरण के कारण विजयी वर्ग उच्च-वर्ग का निर्माण करते हैं.