बीते दो दशकों के दौरान जहां कथित ‘आजाद जम्मू-कश्मीर ' सीमापार आतंकवाद के लिए एक सक्रिय केंद्र बन गया, वहीं गिलगित-बाल्टिस्तान घुसपैठियों की शरणगाह बन गया, जिसकी परिणति 1999 के कारगिल युद्ध के रूप में हुई थी।
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बीते दो दशकों के दौरान जहां कथित ‘ आजाद जम्मू-कश्मीर ' सीमापार आतंकवाद के लिए एक सक्रिय केंद्र बन गया, वहीं गिलगित-बाल्टिस्तान घुसपैठियों की शरणगाह बन गया, जिसकी परिणति 1999 के कारगिल युद्ध के रूप में हुई थी।