सगर्भता काल में हृदरोगहृदरोग पीड़ित रोगिणियों को सगर्भता होने से उनके जीवनसंकट की संभावना बढ़ जातीहै क्योंकि सगर्भता के कारण निम्नलिखित शरीर क्रियात्मक परिवर्तनों का रोगयुक्तहृदय पर अनिष्टकारी प्रभाव पड़ता है.
12.
मध्य सगर्भता काल में कुछ दिनों के लिए मधुमेह की रोगिणियोंको निदानशाला मे रखकर भोजन तथा इनसुलिन आवश्यकता का पुनः समायोजन (रे-अड्जुस्ट्मेन्ट्) करके उनकी मधुमेह दशा को स्थिर (श्टबिलिसटिओन्) कर लेना चाहिए.
13.
सगर्भताकाल में हृदय तथा रक्तवाहिकाओं के शरीरक्रियात्मक परिवर्तन (१) सगर्भता काल के अंतिम भाग में हृदय के ऊर्ध्व तथा बाह्य की ओर विस्थापितहोने के कारण हृदय की कार्यक्षमता कम हो जाती है एंव परिश्रम करने पर कष्टश्वासतथा धड़कन होने लगती है.