| 11. | और सगुन बतावहीं, आपन फंद न जान।।
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| 12. | हरषत सुर बरषत सुमन सगुन सुमंगल बास ॥
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| 13. | क्या निर्गुण क्या सगुन है, कीजे काहे विचार
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| 14. | भगति प्रेम बस सगुन सो होई || ' '
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| 15. | क्या निर्गुन क्या सगुन है, कीजे काहे विचार
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| 16. | तो फिर यह सगुन कैसे हो सकती है?
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| 17. | निरगुन छांडि सगुन को दौरति सुधौं कहौं किहिं पाहीं।
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| 18. | और सगुन बतावहीं, आपन फंद न जान।।
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| 19. | (जानता था मैं कि सगुन लिये बगैर
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| 20. | निर्गुन का है महातम सगुन भक्त बिराजे जी ।
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