अनूप शुक्ल जैसा कोई क्यों नहीं? क्योंकि आत्माभिव्यक्ति का सच्चापन-मतलब उसमें स्वाधीनता का आनन्द और कृत्य का संयम-अनूप शुक्ल हमेशा बरकरार रखते हैं ।
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भूपेन हज़ारिका हमारे बीच से चले गये हैं लेकिन अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं जिसमें मिट्टी की सौंधी महक और विश्व-संगीत का सच्चापन हमेशा गूँजता रहेगा.
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भूपेन हज़ारिका हमारे बीच से चले गये हैं लेकिन अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गये हैं जिसमें मिट्टी की सौंधी महक और विश्व-संगीत का सच्चापन हमेशा गूँजता रहेगा.
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सभी लड़कियों के मुख्य घटना देखता तकिया सेनानियों के प्रत्येक सेट स्विंग बाहर दो, दो मिनट के दौर के लिए, अच्छा सच्चापन तकिए को छूने से पहले सरकारी झूल शुरू द्वारा 1 प्रदर्शित करने.
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गीत तो खैर अद्भुत है ही अपने अनूठे बोल लिये...आपकी आवाज का सच्चापन और डूब कर गाने का अंदाज़ मन मोह गया...बार-बार सुनता जा रहा हूँ, याद करने के लियेगुजारिश है, यदि आप ये मेरे मेल में भेज सके इस आडियो को
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वहाँ देखो, एक पेंड़ है जगमगाता हुआ उसकी शाखो में चिराग फूलते हैं, मदहोश कर देने वाली गंध-सी रोशनी फैलती है चारों ओर, आइने-से हैं उसके तने जिनमें सच्चापन निरखता है हर शख़्स और अशआर की तरह हैं उसकी पत्तियाँ काँपती हुई ।
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लेकिन जितने भी उतार-चढ़ाव आ जाएं, हमारे संगीत में जो निर्मलता और सच्चापन है, जो माधुर्य है, वो अमर रहेगा। के. एल. सहगल, मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद या लता जी ने सालों पहले जो गाने गाए, उन्हें सुनकर आज भी दिल पर वही असर होता है, वही सुक़ून मिलता है।
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इक बहुत सुन्दर गीत है | बड़े अच्छे लगते हैं | ये धरती, ये नदियाँ, ये रैना, और.......... तुम | अक्सर सोचती हूँ | क्या ये नदियाँ, धरती, पहाड़ और आसमान हमेशा ही बड़े अच्छे लगते है? और ये इनके साथ ये “ तुम ” कौन है? इस “ तुम ” को आखिर में क्यों रखा गया | जबकी मुझे लगता है की | ये सारा अच्छापन, और पूरा सच्चापन इन्ही “ तुम ” की वजह से है |