चाहे वह सजीव या निर्जीव विज्ञान हो, कला हो, मानविकी हो, वाणिज्य हो, या साहित्य हो, अथवा इतिहास ही क्यों न हो।
12.
सजीव या निर्जीव चीज हमें उपकारक हो या न हो, फिर भी, किसीसे भी, हमारा वर्तन थोडा सा भी, अपमानजनक नहीं होना चाहिये ।
13.
वैसे तो जीवन के प्रत्येक पहलू या प्रकृति में मौजूद हर सजीव या निर्जीव वस्तु दो पहलू लिए है, एक अच्छा व दूसरा बुरा.
14.
मानसर यात्रा यही बता रही है! भग्नावेश प्रत्येक सजीव या निर्जीव की क्षणभंगुरता का संकेत देते हैं, प्रकृति तो हर रूप में कुछ न कुछ सिखाती ही है...
15.
बैतूल, (रामकिशोर पंवार): दान में दी गई सजीव या निर्जीव वस्तु क्या दानदाता को मिल सकती है या नहीं यह सवाल अब कुछ ही दिनो में भूचाल की तरह उठने वाला है।
16.
अर्थात जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसका दुःख से कभी भी छुटकारा नहीं हो सकता.
17.
जल ही जीवन है इसमे मे कितनी सच्चाई है इसका अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी सजीव या निर्जीव वस्तु का अस्तित्व ‘जल ' के बिना नही रह सकता और वह जल्द समाप्त हो जाती है।
18.
अन्नं वा अणुजाणाइ एव्रं दुक्खाण मुच्चइ॥ " जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसका दुःख से कभी भी छुटकारा नहीं हो सकता।
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2. जल जल ही जीवन है इसमे मे कितनी सच्चाई है इसका अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी सजीव या निर्जीव वस्तु का अस्तित्व 'जल' के बिना नही रह सकता और वह जल्द समाप्त हो जाती है।
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परिग्रह पर भगवान महावीर कहते हैं जो आदमी खुद सजीव या निर्जीव चीजों का संग्रह करता है, दूसरों से ऐसा संग्रह कराता है या दूसरों को ऐसा संग्रह करने की सम्मति देता है, उसको दुःखों से कभी छुटकारा नहीं मिल सकता।