| 11. | सार्वजनिक धर्म से आशय है सत्कार्य करना।
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| 12. | सार्वजनिक धर्म से आशय है सत्कार्य करना।
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| 13. | सत्कार्य जीवन की विशाल उज्ज्वलता की नींव होते हैं।
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| 14. | जीवन निर्मल बने इस उद्देश्य से ही सत्कार्य करने चाहिए।
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| 15. | बाद में उनका हृदय इस सत्कार्य से आनन्दमग्न हो उठा।
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| 16. | सत्कार्य में लगा हुआ हो।) के नाम से प्रसिद्ध हुए।
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| 17. | हर क्षण सत्संग और सत्कार्य में
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| 18. | सत्कार्य में बाधा डाल कर अपनी
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| 19. | वास्तव में प्रत्येक सत्कार्य दान है।
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| 20. | बाद में उनका हृदय इस सत्कार्य से आनन्दमग्न हो उठा।
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