ओह! सदमाग्रस्त छम्मकछल्लो कहां जाए?## “घरवाली का कहा मानेंगे? चार आना का जहर खरीदकर मर न जाएंगे?” लोग कुछ भी कहें, मगर ई सच है कि अपने देश में लोग स्त्री की बहुते इज़्ज़त करते हैं.
12.
यदि किसी को विश्वास नहीं हो तो सूचना अधिकार कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से आंकडे प्राप्त करके स्वयं जाना जा सकता है कि किस-किस जाति के, कितने-कितने लोगों ने एक साथ एक से अधिक लोगों की हत्या की और उनमें से किस-किस जाति के, कितने-कितने लोगों को फांसी की सजा दी गयी और किनको चार-पाँच लोगों की बेरहमी से हत्या के बाद भी केवल उम्रकैद की सजा सुनाई गयी? आदिवासियों को सुनाई गयी सजाओं के आंकडों की संख्या देखकर तो कोई भी संवेदनशील व्यक्ति सदमाग्रस्त हो सकता है!