अलंकार तो वहीं कहा जा सकता है जहाँ सदृश वस्तु लाने में कवि का उद्देश्य
12.
गुण के सदृश वस्तु, व्यापार या गुण सामने लाया जाता है वह ऐसा तो नहीं है
13.
है कि स्मरण भाव केवल सदृश वस्तु से ही नहीं होता, संबंधी वस्तु से भी होता
14.
सदृश वस्तु के इस कथन द्वारा अगोचर आध् यात्मिक तथ्यों का कुछ स्पष्टीकरण भी हो जाता है और उनकी रूखाई भी दूर हो जाती है।
15.
वह जिस सदृश वस्तु या व्यापार की ओर ध् यान ले जाएगा कहीं कहीं उससे मनुष्य को और प्राकृतिक पदार्थों के साथ अपने सम् बन् ध की बड़ी सच्ची अनुभूति होगी।
16.
तात्पर्य यह कि स्वरूपबोध के लिए भी काव्य में जो सदृश वस्तु लाई जाती है उसमें यदि भाव उत्तेजित करने की शक्ति भी हो तो काव्य के स्वरूप की प्रतिष्ठा हो जाती है।
17.
प्रत्यभिज्ञान (सं.) [सं-पु.] 1. सदृश वस्तु को देखकर किसी देखी हुई वस्तु का स्मरण हो आना ; स्मृति की सहायता से होने वाला ज्ञान 2. पहचान।
18.
सादृश्य की योजना में पहले यह देखना चाहिए कि जिस वस्तु, व्यापार या गुण के सदृश वस्तु, व्यापार या गुण सामने लाया जाता है वह ऐसा तो नहीं है जो किसी भाव-स्थायी या क्षणिक-का आलम्बन या आलम्बन का अंग हो।
19.
दम्पतिरूप में बँधना कुछ स्यामी भाषा क् समानांतर रेखा सदृश वस्तु वधू बराबर होना प्रतिद्वंदी होना पेअर श्याम देश भाषा प्रतिलिपि बनाना दो पति-पत्नी जोड़ा कुछ-समय संपूरक होना मैथुन करना अक्षांश रेखा उपनावाध्यक्ष तुलना संपूरक होना दियासलाई बनाना प्रतिद्वंदी होना तुलना करना युगल सहायक जोड़िदार संलग्न करना संलग्न करना जोड़ा बन्ना जोड़ो में किस्त होना समानांतर होना माचिस प्रतिरूप