फिर भी आप को कोई पीड़ा महसूस नहीं हो रही है, तो इसका कारण यह है कि आप नीम बेहाशी की अवस्था में हो और सन्निपात ज्वर से पीड़ित होने के कारण अपने को मात्र शरीर ही मान रहे हो।
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सन्निपात ज्वर: 7 बीज निकले मुनक्का, कालीमिर्च के 7 पीस, 7 बादाम, छोटी इलायची के 7 पीस, कासनी 5 ग्राम व सौंफ 5 ग्राम को पानी में पीसकर 100 मिलीलीटर पानी में डालकर इसमें 1 चम्मच खांड मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है।
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दशमूल काढ़ा: विषम ज्वर, मोतीझरा, निमोनिया का बुखार, प्रसूति ज्वर, सन्निपात ज्वर, अधिक प्यास लगना, बेहोशी, हृदय पीड़ा, छाती का दर्द, सिर व गर्दन का दर्द, कमर का दर्द दूर करने में लाभकारी है व अन्य सूतिका रोग नाशक है।
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आपने महाभारत पढ़ी है? किसे हडबड़ी है देखो कितने पात्र है सब आसपास हैं अपनी अपनी ज़िंदगियों से ऊबे-उकताए सन्निपात ज्वर में सब बडबड़ाएं अश्वत्थामा हन्तो, नरो वा कुंजरो वा क़ानून का पता नहीं धृतराष्ट्र अंधा था गांधारी ने बांधी थी पट्टी? क्या पता? नहीं सकता.