राजा ने आज्ञा दी कि उस मंदिर के सभा-मंडप में नरसी बैठें और भजन-कीर्त्तन करें।
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राजा ने आज्ञा दी कि उस मंदिर के सभा-मंडप में नरसी बैठें और भजन-कीर्त्तन करें।
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उनकी गंभीर, ओजस्वी वाणी जब सभा-मंडप में गूूंजती तो चारों और सन्नाटा छा जाता. लोग एकाग्र होकर उनका प्रवचन सुनने लगते.
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सारे रसिक जन सभा-मंडप मे ताल, चिपलिस, करताल, मृदंग, खंजरी और ढोल आदि नाना प्रकार के वाघ लेकर भजन करना आरम्भ कर देते थे ।
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सारे रसिक जन सभा-मंडप मे ताल, चिपलिस, करताल, मृदंग, खंजरी और ढोल आदि नाना प्रकार के वाघ लेकर भजन करना आरम्भ कर देते थे ।
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मुख्य सभा-मंडप के ठीक आगे मिट्टी की एक उफंची सड़क बनाई गई थी, उसके पार कार्यक्रम में आने वालों के लिए भोजन की व्यवस्था थी, जहां प्रत्येक दिन औसतन 50 हजार से भी अधिक लोग भोजन करते थे।
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मुख्य सभा-मंडप के ठीक आगे मिट्टी की एक उफंची सड़क बनाई गई थी, उसके पार कार्यक्रम में आने वालों के लिए भोजन की व्यवस्था थी, जहां प्रत्येक दिन औसतन 50 हजार से भी अधिक लोग भोजन करते थे।
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महामहोपाध्याय रायबहादुर गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने बांसवाडा के इतिहास में छींच के ब्रह्मा मंदिर का उल्लेख करते हुए लिखा है कि-विकम की बारहवीं शताब्दी के आस-पास का पाषाण निर्मित ब्रह्मा मंदिर जिसका विशाल सभा-मंडप, गुम्बद और स्तम्भों पर की बेजोड़ कलाकृतियां उत्कृष्ट कोटि के शिल्प का उदाहरण हैं ।