यह दिन भारत में विशेष रूप से पंजाब में जो भारत की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता सिंधुघाटी सभ्यता का केन्द्र रहा है बैसाखी के रूप में हर वर्ष 13 अप्रेल को मनाया जाता है।
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स्त्रियों की चर्चा कभी होती थी तो एक वचन में-नारी सभ्यता की धुरी है, नारी सभ्यता की संचालिका है, नारी इस पुरुष-प्रधान सभ्यता का केन्द्र है, नारी यह है और वह है...
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उनका क्या करें जो डिपो बनने के बाद जान गँवाने उसके आस पास आ बसते हैं-चाय की दुकान, ढाबा कम चकलाघर, उठाईगीर, टैंकरों से तेल निकालने के संयंत्र, खोमचे वाले, ट्रांसपोर्टर दलाल … एक डिपो एक उन्नत सभ्यता का केन्द्र बन जाता है जिसमें सरकार की भूमिका इतनी ही होती है कि वह आँख बन्द रखती है।