हबीब तनवीर ने एक तो पहली बार ये सिद्ध किया कि बोली में भी समकालीन होना न केवल संभव है बल्कि बोली भी समकालीनता का ही एक संस्करण है.
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रामायण के कर्ता बाल्मीकि और महाभारत के कर्ता व्यास जी का समकालीन होना रामायण और महाभारत की समकालीनता से पुष्ट होता है, जो नितान्त असंगत है, क्योंकि आदि कवि बाल्मीकि व्यास जी के समकालीन कभी नहीं हो सकते।
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ब्रेख्त कम्युनिस्ट थे, क्योंकि उनके लिए कम्युनिस्ट होने के मानी बहुत सहज थे-समकालीन होना, दूसरे शब्दों में, अपने निजी घेरे के बाहर उन सब आवाज़ों का साक्षी होना, जो बीसवीं सदी के अँधेरे से टकराती हुई हमारे पास आती हैं.
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उसके तथा ' हम्मीर महाकाव्य' आदि कई प्रामाणिक ग्रंथों के अनुसार सोमेश्वर का दिल्ली के तोमर राजा अनंगपाल की पुत्री से विवाह होना और पृथ्वीराज का अपने नाना की गोद जाना, राणा समरसिंह का पृथ्वीराज का समकालीन होना और उनके पक्ष में लड़ना, संयोगिताहरण इत्यादि बातें असंगत सिद्ध होती हैं।
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लांगर महोदय के उपर्युक्त कथन में ये विप्रतिपत्तियां हैं-1. रामायण के कर्ता बाल्मीकि और महाभारत के कर्ता व्यास जी का समकालीन होना रामायण और महाभारत की समकालीनता से पुष्ट होता है, जो नितान्त असंगत है, क्योंकि आदि कवि बाल्मीकि व्यास जी के समकालीन कभी नहीं हो सकते।
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उसके तथा ' हम्मीर महाकाव्य ' आदि कई प्रामाणिक ग्रंथों के अनुसार सोमेश्वर का दिल्ली के तोमर राजा अनंगपाल की पुत्री से विवाह होना और पृथ्वीराज का अपने नाना की गोद जाना, राणा समरसिंह का पृथ्वीराज का समकालीन होना और उनके पक्ष में लड़ना, संयोगिताहरण इत्यादि बातें असंगत सिद्ध होती हैं।