भाई अनुराग जी! वेदमंत्र का यह नवीन अर्थ आपने ख़ुद किया है क्या? डॉ. जमाल साहब, चलिये,अच्छा हुआ कि आपके मुँह से ही यह बात निकल गयी कि वेद की ज्ञान, अहिंसा, कर्म, जनकल्याण, समन्वयीकरण और अन्नदान की मूलभावना पर कुठाराघात करने के लिये किसी संस्थान में संगठित रूप से नवीन और हिंसक अर्थ भी गढे जा रहे हैं।
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नव उदारवाद की प्रयोगशाला में भ्रष्टाचार एक दशक पहले यह खतरा पहचान में आने लगा था कि अगर नव उदारवादी नीतियों के मुक़ाबले में खड़े होने वाले जनांदोलनों का राजनीतिकरण और समन्वयीकरण नहीं हुआ तो नव उदारवाद के दलाल, चाहे वे नेता हों, नौकरशाह हों, बुद्धिजीवी हों, एनजीओबाज हों, धर्मगुरु हों, कलाकार हों या खिलाड़ी, विरोध के सारे प्रयास नाकाम कर देंगे.
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सांची कह तो मारन धवैं एक दशक पहले यह खतरा पहचान में आने लगा था कि अगर नवउदारवादी नीतियों के मुकाबले में खड़े होने वाले जनांदोलनों का राजनीतिकरण और समन्वयीकरण नहीं हुआ तो नवउदारवाद के दलाल-चाहे वे नेता हों, नौकरशाह हों, बु(िजीवी हों, एनजीओबाज हों, ध्र्मगुरु हों, कलाकार हों, खिलाड़ी हों-नवउदारवाद विरोध् के समस्त प्रयास को भंडुल कर देंगे।
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@ भाई अनुराग जी! वेदमंत्र का यह नवीन अर्थ आपने ख़ुद किया है क्या? डॉ. जमाल साहब, चलिये, अच्छा हुआ कि आपके मुँह से ही यह बात निकल गयी कि वेद की ज्ञान, अहिंसा, कर्म, जनकल्याण, समन्वयीकरण और अन्नदान की मूलभावना पर कुठाराघात करने के लिये किसी संस्थान में संगठित रूप से नवीन और हिंसक अर्थ भी गढे जा रहे हैं।