अपीलान्ट के विद्वान अधिवक्ता द्वारा मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया है कि उस पर कोई समन की तामील नहीं हुई है और विद्वान अवर न्यायालय ने अपीलान्ट को सुने बगैर ही प्रश्नगत आदेश एकपक्षीय रूप से सुनवाई करते हुये अपीलान्ट के विरूद्ध पारित कर दिया गया है और इस प्रकार विद्वान अवर न्यायालय ने प्रश्नगत आदेश पारित करने में अवैधानिकता की गयी है।
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जब पटवारी पुल्ला आई. सी. मडलक की रिपोर्ट के अनुसार बिमला देवी की चुनाव याचिका के समन की तामील होकर प्राप्त हो गये थे और 17तारीख को उसने जबावदावा दे दिया था और न्यायालय में दि0-17-10-08. के पूर्व बिमला देवी ने निम्न न्यायालय में चुनाव याचिका की प्रति की मांग प्रार्थनापत्र देकर नहीं की थी, तो ऐसी स्थिति में, निगरानीकर्ता श्रीमती बिमला देवी द्वारा निम्न न्यायालय में अपना दूसरा प्रतिवादपत्र ब 16/23 एवं ब 16/24 देकर न्यायालय को गुमराह कर रही है, ताकि वह निम्न न्यायालय में चुनाव याचिका की कार्यवाही को एक लंबे समय तक बिलंबित करा सके।