बुनियादी शिक्षा के सिद्धान्तों की दृष्टि से आदर्श परिस्थिति यही होगी कि प्रत्येक कक्षा के लिए हस्तव्यवसाय का पाठ्यक्रम तथा विद्यार्थी के सामाजिक तथा भौतिक पक्ष का एक जीवनक्रम निर्धारित किया जाय और यह बात शिक्षक की समवायी योग्यता पर छोड़ दी जाय कि वह इस केन्द्रीय जीवन क्रम की मार्फत ही यथासंभव विद्यार्थी का बौद्धिक और नैतिक विकास करे और इस प्रकार बिलकुल सहज स्वाभाविक रूप से जिस ज्ञान का समवाय हो जाय उसी से संतोष माना जाय।