तीन शक्तियां: तीनो आराध्य सांसारिक जीवन में प्रत्येक प्राणी को तीन काल-भूत, भविष्य एवं वर्त्तमान के तीन ही विभाग-प्रातः, मध्याह्न एवं संध्या में तीन ही प्रकल्प-प्रथम यात्रा क़ी शुरुआत अर्थात जन्म प्राप्त करना, दूसरा यात्रा मार्ग अर्थात जीवन के अंतराल में समस्त क्रिया कलाप तथा तीसरा मृत्यु अर्थात अपनी समस्त क्रियाओं का समापन करना पड़ता है.
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इस प्रकार का दुख भोग पूरी तरह से प्राकृतिक चयन के विश्वास के साथ तुलनीय है, जो कि अपनी सक्रियता में दक्ष नहीं है, लेकिन इसकी प्रवृत्ति यही रहती है कि अन्य प्रजातियों के साथ जीवन संघर्ष की राह में हरेक प्रजाति को यथासंभव सफल बनाए, और यह समस्त क्रिया व्यापार सुन्दरता से लबालब भरे और हर समय बदलते रहने वाले परिवेश में होता है।