जब हमें किसी भी विषय का ज्ञान हो जाता है तो उसे यूँ ही मान नहीं ले. हमारा ज्ञान विशुद्ध विज्ञान सम्मत होना चाहिए.
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विचार व्यक्त करने का अधिकार हमारे पास है, पर हमारे पास इसकी मर्यादा की सीमा भी होनी चाहिए! किसी की प्रतिक्रिया हमें हौसला देती है पर जहा तक किसी बात का विरोध हो तो तर्क सम्मत होना जरुरी है!
13.
भारतीय दर्शन शास्त्र ने काम को भीं देव मानकर पूजा की है क्योंकि काम के वगैर जीवन गतिहीन है, नीरस है काम नहीं तो सृष्टि नहीं परमात्मा भी इच्छा करता है की मे एक से अनेक हो जाऊं लेकिन काम देव हैं शैतान नहीं, काम मर्यादित होना चाहिए, शास्त्र सम्मत होना चाहिए उन्मुक्त और अश्लील नहीं.