धूप महावर हुई याकि चढ़ मस्तक पर टीका बनती संध्या के सरु में पिघली है भावों की उर्वर धरती
12.
गाय दूर निकल गई थी उसको बुलाने के लिए भागी ने आवाज लगाई ' सरु! सरु! रुक जा।
13.
गाय दूर निकल गई थी उसको बुलाने के लिए भागी ने आवाज लगाई ' सरु! सरु! रुक जा।
14.
वही लंबा सरु जैसा क़द, चेहरे पर कोमल नाक-नक़्श पर कितना ढल गया है चेहरा? बाल भी बेवक्त पक गए।
15.
1973 मे सरु स्मेल्टिंग, मेरठ मे व्यक्तिगत स्तर पर अपनी नौकरी बचा लेने के बाद 'सारू मजदूर संघ'ने मुझे पिछली तारीख से सदस्यता देकर कार्यकारिणी मे शामिल कर लिया था।
16.
पीतम को गौन कविराज न सोहात भौन, दारुन बहत पौन, लाग्यो मेघ झरु है संग ना सहेली बैस नवल अकेली, तन परी तलबेली महा, लाग्यो मैन सरु है।
17.
1973 मे सरु स्मेल्टिंग, मेरठ मे व्यक्तिगत स्तर पर अपनी नौकरी बचा लेने के बाद ‘ सारू मजदूर संघ ' ने मुझे पिछली तारीख से सदस्यता देकर कार्यकारिणी मे शामिल कर लिया था।
18.
-ज़िंदगी के मेले में-“ अपनी खुशी न आए थे ” पर आए. किसी ने बुलाया ' सरु ', किसी ने ' तरु ', और इसी के साथ माता-पिता के इकलौती बेटी की एक पहचान बन गई. अपना खेल, कौतुक, कौतुहल...
19.
मेने कहा ओक, मेने इसते इसते चोदना सरु किया, भभि को बहोत मजा आ रहा था, वो धिमे धिमे आह आह बोलति थि, मे भि इसते इसते लुनद और अनदेर दलता रहा, करिब 5 मिनुते मे पुरा लुनद मेने चुत मे घुसद दिया और मेरा बल्लस (तेसतिसलेस) भभि कि गानद पे तौच कर ने लगा तब भभि को पत्ता चला कि पुरा 8।
20.
एक रात मेने भै भभि के बेदरूम से इसते इसते बात करता सुना, भभि भै को चोद ने के लिये कहे रहि थि, भै ने चुदै सरु कि लेकिन दो मिनुते मे चुदै खतम करदि अपना पनि (विरया) निकल दिया, भभि गुस्से मे आके कहने लगि आब मेरा कया मेय तो चुदै के लिये तदपति रहेति हु, और आप दो मिनुते मे अपना पनि निकल देतेहो।