काव्य कला के समष्टिगत लक्ष्य ' सत्यं शिवं सुन्दरम् ' का परिपादन उनकी रचनाओं में सर्वतः ही परिलक्षित है।
12.
चंद कमियां न तो व्यक्तित्व का सर्वतः वर्णन करती हैं न व्यक्तित्व की महानता को कम करती हैं..
13.
जब तक इन दोनों बातों की बुनियाद कायम नहीं होती तब तक मनुष्य जाति का सर्वतः सुधार सम्भव नहीं है.
14.
राष्ट्र की अस्मिता (संस्कृति, कला, साहित्य, भाषा) की रक्षा हेतु देशवासियों को सर्वतः सन्नद्ध रहना होगा।
15.
ऐसा कहकर वह थोड़ा रूके और कहने लगे-गीता में योगविद्या के अनुभवी आचार्य योगेश्वर श्रीकृष्ण ने कहा है-यावानर्थ उदपाने सर्वतः सम्प्लुतोदके।
16.
यावानर्थ उदपाने सर्वतः संप्लुतोदके तावान सर्वेषु वेदेषु ब्रह्मंस्य विजानतः!!! MEANING: जो कुछ एक गागर / कुआ दे सकता है, वही सब कुछ उससे बेहतर एक झील दे सकती है।
17.
सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति ॥ भावार्थ: वह सब ओर हाथ-पैर वाला, सब ओर नेत्र, सिर और मुख वाला तथा सब ओर कान वाला है, क्योंकि वह संसार में सबको व्याप्त करके स्थित है।
18.
विचारों के शिखर पर खड़ा हो / देखता है सन्ध्या का गगन / कि चू रहा / क्षितिज से लाल ख़ून / विकीरित करता हुआ सर्वतः ज्ञान-रष्मि!! रुधिर से विकीरित होती हैं किरणें / क्रान्तिकारी युग की।
19.
मिलिंदसंघा विचरंति सर्वतः सकोरकैः पल्लवितद्रुमेषु॥ ४ ६ ॥जन्म के उपरान्त, कमल और कमल की कोंपलों से आच्छादित नदियाँ, सुगंघ से भरी वायु और पुष्पित वृक्षों से भरे वनों में मत्त-भाव से भौंरों के संघ सभी जगह विचरण कर रहे थे।
20.
अस्माकम्) हमारा (सूरिः) प्रेरक है | उसी की प्रेरणा से तू (हविषा) जीवन-हवि से (वावृधान) बढ़ता हुआ (पृथिवीम् उत द्याम) पृथिवी और द्यौ से (स्वयं यजस्व) स्वयं इस प्रकार युक्त हो, कि (अन्ये जनासः) अन्य जन (अभितः) सर्वतः तुझ पर (मह्यन्तु) मुग्ध हो जावें |