संगीत और नृत्य का यह सहगमन काफी देर तक चलता रहा और तब तक चलता रहा, जब तक ढेलाबाई थककर चूर नहीं हो गई।
12.
पति की मृत्यु पर पति के शव के साथ जल जाने को ‘ सहगमन ' कहा गया तथा जब पति की अन्यत्र मृत्यु हो जाती थी तब बाद में उसकी भष्म या पादुका लेकर पत्नी अग्नि में प्रवेश कर अपने प्राण त्यागती, उसे ‘ अनुमरण ' की संज्ञा दी गई।
13.
चिता पर अपने वीर पति के शव के साथ सहगमन करते समय यहाँ की महिलाऐं दुल्हन का वेश धारण करती है व वीर युद्ध के लिए प्रस्थान हेतु दुल्हे का सा केसरिया वेश धारण करते है | इन दोनों अवसरों पर ही मंगल राग वाध्यों द्वारा बजाई जाती है | इस वीर भूमि का यही रिवाज है |