इसके लिए जहाँ एक ओर समाज की इस धारणा को बदलना होगा कि ज्योतिषी का अर्थ सर्वज्ञाता होना नहीं हैं वहीं दूसरी ओर एक ज्योतिषी को भी मिथ्या अभिमान का परित्याग कर अपनी कमियों को सहर्ष स्वीकार करना ओर जीवन के किसी एक विशेष पक्ष के बारे में अपने भविष्य ज्ञान को केन्द्रित करना होगा।
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इसके लिए जहाँ एक ओर समाज की इस धारणा को बदलना होगा कि ज्योतिषी का अर्थ सर्वज्ञाता होना नहीं हैं वहीं दूसरी ओर एक ज्योतिषी को भी मिथ्या अभिमान का परित्याग कर अपनी कमियों को सहर्ष स्वीकार करना ओर जीवन के किसी एक विशेष पक्ष के बारे में अपने भविष्य ज्ञान को केन्द्रित करना होगा।
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ईश्वर कहते हैं हमे इस बदलाव से घबराना नहीं चाहिए अपितु सहर्ष स्वीकार करना चाहिए क्यों की ईश्वर ने हर बश्तु को निर्धारित किया है और उनके द्वारा निर्धारित हर वश्तु को स्वीकार कर एवं बदलाव के नियम को स्वीकार कर अपने सभी अवसादों का त्याग कर अपने जीवन में सदेव प्रसन्न रह सकते है …
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मुझे तो आपही लोगों के मार्गदर्शन तले चलना है तो भला आपसे कैसी शिकायत! मुझे मेरे ब्लॉग पे किसी भी तरह का प्रतिक्रिया मिले तो सहर्ष स्वीकार करना है | हम प्रतिक्रिया की अपेक्षा इसिस्लिये करते हैं की उससे हम कुछ सीखे! आपने मेरी रचना को तवज्जो दिया इसके लिए आभार! कृपया यूँ ही आशीर्वाद देते रहें! धन्यवाद!
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आत्महत्या सबसे बड़ा पलायन नहीं उससे बड़ा पलायन है उसे टालते चले जाना पलायन नाउम्मीदी की जाया नहीं असंतुष्टि से जन्मी अदूरदर्शी क्रांति है (कौनसी क्रांति दूरदर्शी रही है वैसे) हारे हुए तो सब हैं अपनी हार को खेल भावना के चलते सहर्ष स्वीकार करना है पलायन समर्पण भक्ति मार्ग का योगभ्रष्ट है यदि तो ज्ञान मार्ग का भटका पलायन पलायन में पूर्णता आने पर यकीन कीजिये जब कुछ न होगा नकारने को आप पलायन से भी पलायन कर जाओगे सारे संरक्षित फोसिल्स के बीच डो डो प्रजाति सा पलायन नैसर्गिक है