यह ' नई कविता ', ' छायावाद ' या फिर ' प्रगतिवाद ' आन्दोलनों की तरह नहीं था जहाँ लोग एक ही दिशा में सोचना, एक ही तरह से लिखने को श्रेष्ठ तरीका मानते थे, जहाँ पर लेखन मानो एक प्रमुख नदी थी और प्रत्येक लेखक उस नदी की सहायक धारा बनने के प्रयास में लगा था।