मैने अभी तक जितने भी चित्र प्रयाग दर्शन के तहत खीचे है वे सभी अपनी साईकिल से चलते हुऐ बिना रूकें खीचे है, और फोटो भी खीख् ने वाला भी मै था और साइकिल चलाने वाला भी मै ही था।
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स्वयं चोरी न करना और न दूसरों को करने देना यह एक ही अस्तेय धर्म के दो अंग हैं, योग मार्ग के साधक को दोनों ओर उसी प्रकार ध्यान रखना चाहिए जैसे साइकिल चलाने वाला दोनों पैरों को समान रूप से घुमाता है ।
13.
मंच पर ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य वासुदेवानन्द (बाये से दूसरे धर्म दंड लिये हुऐ) प्रयाग दर्शन-जानसेनगंज मैने अभी तक जितने भी चित्र प्रयाग दर्शन के तहत खीचे है वे सभी अपनी साईकिल से चलते हुऐ बिना रूकें खीचे है, और फोटो भी खीख्ने वाला भी मै था और साइकिल चलाने वाला भी मै ही था।