जो आज काजू बादाम पिस्ता केसर कस्तूरी मेवा व शुद्ध घृत का भोजन करता है वही मंच से शबरी के बेरों का, सुदामा के तंदुल का व दिदुर के सागपात के आलौकिक स्वाद का वर्णन कर रहा है.
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जो आज काजू बादाम पिस्ता केसर कस्तूरी मेवा व शुद्ध घृत का भोजन करता है वही मंच से शबरी के बेरों का, सुदामा के तंदुल का व दिदुर के सागपात के आलौकिक स्वाद का वर्णन कर रहा है.
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पुराने नियम के समय में इस्राएलियों ने निर्गमन के कष्टों और परमेश्वर के अनुग्रह को अख़मीरी रोटी (खमीर के बिना) और कड़वे सागपात को खाते हुए स्मरण किया, और नए नियम के समय में हम यीशु की शिक्षाओं के प्रति आज्ञाकारिता में उपवास करने के द्वारा मसीह के कष्टों में सहभागी होते हैं, कि हमें उस दिन उपवास करना चाहिए जब दूल्हा हमसे अलग किया जायेगा (मरकुस २: २ ०).