लेकिन संपादक के सामने समस्या है कि वो साठ के ऊपर के कवि, कथाकार या आलोचक के बारे में कौन सा विशेषण लगाए?
12.
साठ के ऊपर हो चले हैं, कशमकश में इनकी कहानी है, सोलह की उम्र की खून की गर्मी खत्म हो चली, वह तो बात, पुरानी है।
13.
जो स्त्रियां नारी मुक्ति का झंडा उठा कर चलती हैं, जो गाहे बगाहे आपके खिलाफ बोलती हैं, उनके बारे में कुछ सुनहरे शब्द हो जाएं? वे महिलाएं मानसिकता से या उम्र से साठ के ऊपर की हैं, जो नारी मुक्ति को नहीं मानती।