सहजयोग-(सह + ज = हमारे साथ जन्मा हुआ) जिसमें हमारी आन्तरिक शक्ति अर्थात कुण्डलिनी जागृत होती है, कुण्डलिनी तथा सात ऊर्जा केन्द्र जिन्हैं चक्र कहते हैं, जो कि हमारे अन्दर जन्मसे ही विद्यमान हैं।
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लेकिन बड़े दुख के साथ लिखना पड़ रहा है, कि जो मूवमेंट इतने उज्जवल विचार के साथ जन्मा था, वो आज उसी आशंका को चरिथार्थ कर रहा है जो उसके जन्म के वक्त जताई गयी थी, नक्सलवाद पथ से भटक चुका है।