???????:-ब्लागरी मेरे लिए सामयिकता से सम्पृक्ति है | स्वयं के शब्द-लोक में खोये रहने का माध्यम-मात्र नहीं | इसके लिए तो एक डायरी भी लिखी जा सकती है, जो वर्षों या वर्षों बाद पलटती रहे, यानी नितांत निजी दुनिया! पर ब्लागरी जिसमें कमेन्टरी भी है, उसे समय की हलचलों से साक्षात्कार और उससे बावस्तगी का माध्यम भी मानता आया हूँ |