घोर प्रतिकूल परिस्थितियों में चरित्र प्रबलन, विकृतिजन्य रोगों, व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तनों को, यानि मनोविकृति को (चारित्रिक विकृति व्यक्तित्व के सामाजिक अनुकूलन को अवरुद्ध कर देती है और व्यवहारतः उसे अपरिवर्त्य (immutable) बना देती है, हालांकि सही ढंग से उपचार किए जाने पर उसे कुछ हद तक दुरस्त किया जा सकता है) जन्म देता है, परंतु उसे मानसिक रोग मानना ठीक नहीं है।