लेकिन जहां सामूहिकतावाद निजी अधिकारिता को सर्वाधिकारिता में, अराजकतावाद उसको ‘ प्रत्येक की अनाधिकारिता ' में बदलने का लक्ष्य रखता है, वहीं श्रमिकसंघवाद का लक्ष्य संगठित श्रमशक्ति को पूर्ण स्वामित्व दिए जाने से है.
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दूसरे वर्ग में श्रमिक संघवाद, सहजीवितावाद, सामूहिकतावाद, सहकारिता आदि विचार आते हैं, जो संगठित जनशक्ति का रचनात्मक उपयोग करने के समर्थक हैं तथा किसी न किसी प्रकार सहकारिता से प्रेरित-प्रभावित हैं.
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बीसवीं शताब्दी में समाजवाद के कुछ नए रूप सामने आए हैं, उनमें ‘ समष्ठिवाद ', ‘ श्रमिकसंघवाद ', ‘ अराजकतावाद ', ‘ सहजीवितावाद ', ‘ संघवाद ', सामूहिकतावाद आदि विभिन्न विचारधाराएं हैं.
14.
प्रसिद्ध ‘ टाइम ' पत्रिका के 25 अगस्त 1911 को प्रकाशित इस आलेख से न केवल श्रमिकसंघवाद को समझता जा सकता है, बल्कि उसका अपनी समानधर्मा विचारधाराओं यथा अराजकतावाद तथा सामूहिकतावाद से अंतर भी इस उद्धरण द्वारा स्पष्ट हो जाता है.
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अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह संसदीय कार्रवाही का पूरी तरह बहिष्कार करता है, जिसपर सामूहिकतावाद (सहकार) का समूचा दर्शन आधारित है तथा अराजकतावाद जिसके अत्यधिक निकट है, हालांकि अराजकतावाद की अपेक्षा इसकी कार्रवाही का क्षेत्र बहुत कुछ सीमित भी है. '
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यदि वे ऐसा करते हैं तो कानून की नजर में अपराधी माने जाएंगे तथा दंड के पात्र भी. जबकि समष्ठिवाद अथवा सामूहिकतावाद में इतने सारे लोग अथवा कोई एक भी, उन सबका प्रतिनिधि होने का दावा करते हुए, किसी एक व्यक्ति को आसानी से मृत्युदंड जैसी सजा दे सकता है.