' ' बस, इतना ही कि वह एक साहसी स्त्री है वह अपने पांव पर खडी है और स्त्रियों की स्वयंसेवी संस्था आस्था '' के साथ काम करती है।
12.
‘‘ बस इतना ही कि वह एक साहसी स्त्री है, वह अपने पांवों पर खड़ी है और स्त्रियों की स्वयंसेवी संस्था ‘ आस्था ' के साथ काम करती है।
13.
उर्दू साहित्य के इतिहास में साहसी स्त्री कथाकारों की जो परंपरा रशीद जहां से चली आई है, कहना न होगा कि सरवत खान ने उसे समृद्ध करने का अत्यंत सार्थक प्रयास किया है।
14.
स्त्री को स्वतन्त्र निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, यदि कोई स्त्री ऐसा करती है तो उसे सामान्य घटना के रूप में नहीं लिया जाता, बल्कि ' काण्ड ' की तरह लिया जाता है और ऐसी साहसी स्त्री का मनोबल तोडने के लिए खिल्ली उड़ाकर उसका अपमान किया जाता है।
15.
और यह कोढ़ इतना घातक हो गया है कि यदि कोई साहसी स्त्री अपना राष्ट्रधर्म निभाती हुई अपने तेजस्वी रूप में अवतरित होती है तो अपने मुल्ला मित्रों को खुश करने के लिए उसे स्त्री मानने से भी इनकार कर देते हैं, केवल और केवल अपने अन्दर के सेक्युलरिज्म को जिन्दा रखने के लिए और उन मुल्लों को खुश रखने के लिए जो इनके द्वारा अपनी योजनाओं में सफल हो रहे हैं।