बोरगल ने ‘ साहित्यशास्त्री अज्ञेय: भूमिकाओं के विशेष संदर्भ में ' लेख में ये विचार व्यक्त किए हैं कि अज्ञेय सर्वप्रथम एक विदग्ध आस्वादक हैं ; इसीलिए वे रचना की खूबियाँ, कौशल, बारीकियाँ, सौंदर्य आयाम, शक्ति-स्रोत और प्रभाव को पाठक के सामने प्रभावी रूप में प्रस्तुत करने में बेजोड़ हैं।