आप कितने भी पतित और शोषित समाज से हों, आपकी पूरी बिरादरी दाने-दाने को तरस रही हो, किन्तु अपनी बिरादरी का कोई इकलौता प्राणी भी सिंहासनारूढ हो जाए तो आप स्वयं को सिंहासनारूढ समझने लग जाते हैं।
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समस्त विश्व जानता है कि हमने कभी किसी का अपमान नहीं किया | फिर आपके साथ ऐसा क्यों हुआ? आपका का परित्याग हो गया और वो सिंहासनारूढ हो गयी | लोग आपकी उसी ऊँगली को छोड़ने लगें हैं, जिसे पकड़कर उन्होंने चलाना सीखा | कुछ तो बहुत दूर गए | सच तो यह है कि आपके बच्चे अब यह मानने को तैयार ही नहीं कि आपके मार्गदर्शन में वे आगे तक जा सकते हैं |