यहाँ कथा पर विचार इसलिए भी है कि “कथा” का सीमा-निर्धारण करने वाले आलोचकों ने कथाक्षेत्र का परिसीमन करते हुए कहा है कि कथा-विधा में चार साहित्य-रूप आते हैं: कहानी, उपन्यास, एकांकी और नाटक।
12.
दूसरे शब्दों में, बातचीत के जरिए सीमा-निर्धारण और सहयोगदोनों समानांतर मार्ग पर साथ-साथ चल रहे हैं और दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्व स्थिति को बदलने के लिए बल-प्रयोग की संभावना को नकार दिया है।
13.
दूसरे शब्दों में, बातचीत के जरिए सीमा-निर्धारण और सहयोगदोनों समानांतर मार्ग पर साथ-साथ चल रहे हैं और दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्व स्थिति को बदलने के लिए बल-प्रयोग की संभावना को नकार दिया है।
14.
इसलिए अपने अस्तित्व का उद्देश्य और अपनी क्षमताओं का प्रयोजन और अपने अधिकारों का सीमा-निर्धारण करना न तो हमारा अपना कार्य है और न किसी अन्य व्यक्ति का इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार है, यह केवल उस ईश्वर का कार्य है जिसने हमको इन शक्तियों तथा अधिकारों के साथ पैदा किया और दुनिया की बहुत-सी चीज़ें हमारे अधिकार में दी हैं।