वैसे ही उन जाति-लोगों के कहे हुए कठोर वचनसे मेरा हृदय सदा मथता तथा जलता हुआ रहता है ॥6॥ हे नारद! बड़े भाई बलराम सदा बल से, गद सुकुमारता से और प्रद्युम्न रूपसे मतवाले हुए है;
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भोलानाथ गहमरी के लिखे गीत, 'कवने खोंतवा में लुकइलू आहि हो बालम चिरई' में खलील 'टीन-एज़' के विरह को जिस ललक और सुरूर और सुकुमारता से बोते मिलते हैं, जो औचक सौंदर्य वह निर्मित करते हैं, वह एक नए किसिम का नशा घोलता है.
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भोलानाथ गहमरी के लिखे गीत, ' कवने खोंतवा में लुकइलू आहि हो बालम चिरई ' में खलील ' टीन-एज़ ' के विरह को जिस ललक और सुरूर और सुकुमारता से बोते मिलते हैं, जो औचक सौंदर्य वह निर्मित करते हैं, वह एक नए किसिम का नशा घोलता है.
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==== कंस-वध ==== [[चित्र: Krishna-Balarama. jpg | thumb | left | [[कंस]]-वध]] {| id = “ textboxrt ” | '' ' महाभारत शांति पर्व अध्याय-82: '' ' कृष्ण:-हे देवर्षि! जैसे पुरुष अग्रिकी इच्छासे अरणी काष्ठ मथता है ; वैसे ही उन जाति-लोगों के कहे हुए कठोर वचनसे मेरा हृदय सदा मथता तथा जलता हुआ रहता है ॥ 6 ॥ हे नारद! बड़े भाई बलराम सदा बल से, गद सुकुमारता से और प्रद्युम्न रूपसे मतवाले हुए है ;