श्रम कल् याण का अभिप्राय ऐसी सभी सेवाओं, सुखसाधन और सुविधाओं से है जो कर्मचारियों को दी जाती हैं जो उनकी कार्यपरिस्थितियों में सुधार लाती तथा जीवन स् तर बेहतर बनाती हैं।
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लेकिन मंडन तथा वाचस्पति के पक्ष के अनुसार इष्टसाधन या सुखसाधन की अवधारणा के आधार पर हम ' है ' और ' चाहिए ' में प्रतीत होने वाला तार्किक अंतर या निरोध दूर कर सकते हैं।
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पूज्यवर, भ्रान्तिवश पुत्र, स्त्रियाँ, धन आदि जो सम्पूर्ण रसायन के समान सुखसाधन समझे जाते हैं, मृत्युकाल आने पर वे पुत्र आदि अतिरमणीय भोगजनक विषय कुछ नहीं करते, परन्तु विष की मूर्च्छा के समान अत्यन्त दुःखदायी ही होते हैं।