सुखानुभव तक सीमित भोग शब्द का प्रयोग बाद में इतना व्यापक हुआ कि दुख भी भोगा जाने लगा।
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इसीलिए लोगों की प्रशंसा या अपने सुखानुभव को लेकर संतुष्ट या गौरवांवित होने की कोई जरूरत नहीं है।
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उपभोग शब्द बना है भोगः शब्द से जिसका अर्थ है सुखानुभव, आनंद, खान-पान, आय, राजस्व, भोजन, दावत और उपभोग आदि।
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इसके अलावा कुछ अन्य विचारधाराओं में यह विश्वास प्रधान है कि सभी चेतन तत्त्वों को सामान्यतया सुखानुभव के लिए सृजित किया गया है।
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भोग के साथ सुख का रिश्ता कितना गहरा है इसका गवाह है आहार-व्यंजनों में छुपा सुखानुभव जो राजभोग, छप्पनभोग और मोहनभोग के रूप में सामने आया।
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उ पभोग शब्द बना है भोगः शब्द से जिसका अर्थ है सुखानुभव, आनंद, खान-पान, आय, राजस्व, भोजन, दावत और उपभोग आदि।
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भोग के साथ सुख का रिश्ता कितना गहरा है इसका गवाह है आहार-व्यंजनों में छुपा सुखानुभव जो राजभोग, छप्पनभोग और मोहनभोग के रूप में सामने आया।
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मादन में किसी एक प्रकार के सम्भोग में समस्त सम्भोग वैचित्री का एक साथ सुखानुभव होता है, और सम्भोग वैचित्री के सुखानुभव के साथ नानाविध वियोग जनित भाव का भी अनुभव होता है।
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मादन में किसी एक प्रकार के सम्भोग में समस्त सम्भोग वैचित्री का एक साथ सुखानुभव होता है, और सम्भोग वैचित्री के सुखानुभव के साथ नानाविध वियोग जनित भाव का भी अनुभव होता है।
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साथ ही अपनी विजय तथा नवस्थापित सत्ता को बनाये रखने के लिए विजितो के सब मान विन्दुओं को ठेस लगा कर नष्ट भ्रष्ट कर उनकी चित्तवृत्तियाँ इतनी आहत एवं स्वाभिमान शुन्य बनाना कि उनके मन् में कभी पुनरोत्थान का विचार ही उत्पन्न ना हो और प्राप्तदासता में ही सुखानुभव हो.