आत्मानंदरूपी सूर्य के उदय होने के बाद मिट्टी के तेल के दीये के प्राकाश रूपी शूद्र सुखाभास की गुलामी कौन करे?
12.
होगा ही, उसे पता ही नहीं कि सुख तो नहीं मिला केवल सुखाभास हुआ परंतु उसमें उसने 30-40 दिन की अपनी कमाई खो दी।
13.
सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि स्व तथा अपने प्रिय जनों के अतिरिक्त अन्य किसी को सुखी तथा सुखाभास में आनन्द लेते हुवे देखकर वह परेशान हो उठता है ।
14.
चटोरापन में लगे रहेते … सुखी होना तो चाहते लेकिन विषय विकार और धोखा धड़ी से … तो रावण के रास्ते सुखी होने वाले समाज को सुखाभास होता है …..
15.
खुद को मान मिले ऐसी इच्छा रखने पर मान नहीं मिलता है तो दुःख होता है और मान मिलता है तब सुखाभास होता है तथा नश्वर मान की इच्छा और बढती है ।
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खुद को मान मिले ऐसी इच्छा रखने पर मान नहीं मिलता है तो दुःख होता है और मान मिलता है तब सुखाभास होता है तथा नश्वर मान की इच्छा और बढती है ।
17.
यदि प्रत्येक सुखाभास के बारे में गहराई से विचार करके यह जीव यदि इस सही निष्कर्ष पर पहुँच जावे क़ि संसार में और भोगों में किंचित मात्र भी सुख नहीं है तो इसे भोगों की चाह ही नहीं रहेगी.
18.
सच तो यह है क़ि कभी किसी को संसार में सुख तो मिला ही नहीं, अनेकों किन्तु-परन्तु और अगर-मगर के साथ मिले क्षणिक सुखाभास के सहारे ही यह अज्ञानी इन भोगों में सुखों की कल्पना करता रहा.
19.
जिस सुख के लिए संसार के लोग अविरत भागदौड़ करते हैं, रात दिन एक कर देते हैं, एड़ी से चोटी तक का पसीना बहाते हैं फिर भी वास्तविक सुख नहीं ले पाते केवल सुखाभास ही उन्हें मिलता है, वह सच्चा सुख, वह आनन्द उन महापुरुषों में अथाह रूप से हिलोरें लेता है और उनका सत्संग-दर्शन करने वालों पर भी बरसता रहता है।